बाबूलाल मरांडी की याचिका पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई ! झारखंड हाई कोर्ट ने हेमंत सरकार को भेजा नोटिस, DGP की नियुक्ति से जुड़ा है मामला
CITY DESK, NATION EXPRESS, RANCHI
झारखंड हाई कोर्ट ने सोमवार के दिन डीजीपी की नियुक्ति को लेकर हेमंत सोरेन सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य की यूपीएससी और केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी नोटिस जारी किया है। याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने डीजीपी की नियुक्ति को लेकर नियमों की अनदेखी की है और कोर्ट के आदेश के अनुसार राज्य में डीजीपी की नियुक्ति नहीं हो रही है।
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हेमंत सरकार ने झारखंड़ में डीजीपी की नियुक्ति के लिए नई नियमावली बनाई है। इसमें यूपीएससी से सिफारिश लेने का प्रावधान हटा दिया गया है। हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार नए डीजीपी की नियुक्ति से पहले यूपीएससी से सलाह मांगा जाना जरूरी है और इसी सलाह के आधार पर डीजीपी की नियुक्ति होनी चाहिए। इसी वजह से बाबूलाल मरांडी ने याचिका लगाई है। इस मामले में अगली सुनवाई 16 जून को होगी।
क्या है मामला?
अदालत में सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ को बताया गया कि अनुराग गुप्ता को 25 जुलाई 2024 को झारखंड का कार्यवाहक डीजीपी बनाया गया था। हालांकि, विधानसभा चुनाव के चलते चुनाव आयोग ने अनुराग गुप्ता की जगह अजय कुमार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। विधानसभा चुनाव पूरे होने के बाद 28 नवंबर 2024 को दोबारा अनुराग गुप्ता को राज्य का कार्यवाहक डीजीपी बना दिया गया।
क्या है नियम?
याचिका में कहा गया है कि नियम के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति यूपीएससी की सिफारिश के आधार पर होती है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह के मामले में साफ निर्देश दिया था कि डीजीपी के लिए चुने गए नाम को यूपीएससी से स्वीकृत कराना होगा, लेकिन झारखंड सरकार ने जो नई नियमावली बनाई है, उसमें यूपीएससी से स्वीकृति लेने की जरूरत नहीं है। इसी को लेकर याचिका दायर की गई है, जिस पर पहली सुनवाई हो चुकी है।
आपको बता दें कि अनुराग गुप्ता के डीजीपी के पद पर पदस्थापन पर सवाल उठाते हुए भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था. उन्होंने कहा था कि अनुराग गुप्ता पर राज्यसभा चुनाव के दौरान पद का दुरुपयोग करने का आरोप था इस मामले में प्राथमिकी दर्ज हुई थी. उनको दो वर्ष तक निलंबित रहना पड़ा था. चुनाव आयोग ने उन्हें चुनावी कार्य से अलग रखा था. इसको चुनौती देते हुए बाबूलाल मरांडी ने याचिका दाखिल की थी.
सुप्रीम कोर्ट : डीजीपी नियुक्ति मामले में मुख्य सचिव सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी के पद पर नियुक्ति से संबंधित एक अवमानना याचिका में प्रतिवादी बनाये गये अधिकारियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए चार-पांच मई की तिथि निर्धारित करने का आदेश दिया है. बाबूलाल मरांडी ने अपनी याचिका में मुख्य सचिव अलका तिवारी, गृह सचिव वंदना डाडेल, डीजीपी अनुराग गुप्ता, सेवानिवृत न्यायाधीश रतनाकर भेंगरा और नीरज सिन्हा को प्रतिवादी बनाया है.
भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर नियुक्ति को “प्रकाश सिंह बनाम केंद्र सरकार” मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का उल्लंघन करार देते हुए अवमानना याचिका दायर की थी.
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 सितंबर 2006 को दिये गये अपने आदेश में यह कहा था कि राज्य सरकार डीजीपी के पद पर प्रोन्नत होने वाले अधिकारियों की सूची लोक सेवा आयोग को भेजेगी. आयोग द्वारा तैयार पैनल में से सरकार किसी को डीजीपी के पद पर नियुक्त करेगी. नियुक्ति की तिथि से डीजीपी का कार्यकाल दो साल के लिए होगा, भले ही उसके सेवानिवृति की तिथि पहले हो. डीजीपी की नियुक्ति पूरी तरह मेरिट के आधार पर होगी. इसमें किसी तरह का दबाव या प्रभाव का इस्तेमाल नहीं किया जायेगा.
Report By :- SHWETA SINGH, CITY DESK, NATION EXPRESS, RANCHI