Bihar Assembly Election 2020: अपनी या दूसरों की नैया डुबोएंगे छोटे दल, एआईएमआईएम और जाप पर टिकी हैं निगाहें
POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, PATNA
Assembly Election in Bihar 2020: बिहार विधानसभा चुनाव में हालांकि सीधी टक्कर राजग और विपक्षी महागठबंधन के बीच की मानी जा रही है। राज्य के कई छोटे सियासी दल या तो राजग के साथ हैं या फिर विपक्षी महागठबंधन के साथ। इसके इतर कई ऐसे दल हैं जो प्रासंगिक साबित होने पर राजग या विपक्षी महागठबंधन का जायका बिगाड़ सकते हैं। हालांकि, बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में ये दल कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाए थे।
गौरतलब है कि छोटे दलों में लोजपा, जीतन राम मांझी का हम राजग के साथ है। चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी की भी राजग में वापसी हो सकती है। दूसरी ओर कांग्रेस, मुकेश सहनी वाली वीआईपी जैसे कुछ छोटे दल महागठबंधन के साथ हैं। राज्य में करीब डेढ़ दर्जन दूसरी छोटी पार्टियां हैं, मगर इनमें सर्वाधिक चर्चा असादुद्दीन ओवैसी की पार्टी एमआईएमआईएम और पप्पू यादव की पार्टी जाप की है। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा छोटे-छोटे 16 दलों को साथ ला कर राज्य में तीसरा मोर्चा खड़ा करने की कोशिश में हैं।
दो चुनावों में औंधे मुंह गिरी पार्टी
बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में जाप और एआईएमआईएम राज्य की सियासत में कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाईं। बीते विधानसभा चुनाव में राजद-जदयू-कांग्रेस के महागठबंधन और राजग के बीच हुए सीधे मुकाबले में दोनों पार्टियों को मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया है। दोनों ही दल चुनाव में खाता खोलने में नाकाम रहे थे। एआईएमआईएम को महज 0.2 तो जाप को 1.4 फीसदी वोट हासिल हुए थे।
इस बार चर्चा क्यों?
इस बार इन दोनों दलों की चर्चा की खास वजह है। एआईएमआईएम ने जहां पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव की पार्टी समाजवादी जनता दल से चुनाव पूर्व गठबंधन किया है, वहीं जाप के मुखिया पप्पू यादव लोकसभा चुनाव के बाद से ही पूरे बिहार में सक्रिय रहे हैं। बीते चुनाव में महज छह सीटों पर लड़ने वाले एआईएमआईएम ने इस बार 50 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, जबकि पप्पू यादव ने 150 सीटों पर लड़ने का एलान किया है।
छोटे दलों का बढ़ा प्रभाव तो विपक्ष को होगा घाटा
अगर इन छोटे दलों का इस चुनाव में प्रभाव बढ़ा तो इसका घाटा सीधे सीधे राजद की अगुवाई वाले विपक्षी महागठबंधन को उठाना होगा। दरअसल, एआईएमआईएम की निगाहें राज्य के सीमांचल इलाके पर है, जहां कई सीटें न सिर्फ मुस्लिम-बहुल हैं, बल्कि कई सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में है।
इसके अलावा जाप का प्रभाव कोसी क्षेत्र के यादव मतदाताओं में माना जाता है। मुस्लिम और यादव बिरादरी का बड़ा हिस्सा बीते तीन दशकों से राजद के साथ रहा है। इसके अलावा अगर यशवंत सिन्हा 16 दलों का तीसरा मोर्चा खड़ा कर पाए तो यह मोर्चा सरकार से नाराज मतों का बंटवारा ही करेगा।
अस्तित्वहीन हो चुके हैं वाम दल
बीते चुनाव में सीपीआईएमएल-लिबरेशन, भाकपा, माकपा, फारवर्ड ब्लॉक सहित छह वाम दलों ने राज्य की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। हालांकि इसमें सिर्फ सीपीआईएमएल लिबरेशन के हाथ ही तीन सीटें आई। वाम गठजोड़ में शामिल दूसरी कोई पार्टी खाता नहीं खोल पाई। हालांकि, वाम दलों को करीब चार फीसदी वोट जरूर हासिल हुए थे।
Report By :- Shivani Sharma, POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, PATNA