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कुरान की 26 आयते हटाने को लेकर शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट गए

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NEWS DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI

कुरान पाक की 26 आयतों को क्षेपक यानी बाद में जोड़ी गई आयतें बताते हुए उनको पवित्र किताब से हटाने का आदेश देने की मांग करने वाली जनहित याचिका में दायर की गई है.

देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को खतरा है कुरान पाक की 26 आयतें, हटाने को लेकर जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर

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देश की एकता, अखंडता और भाईचारे को खतरा है कुरान पाक की छब्बीस आयतों से. इनको पवित्र किताब से हटाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल की गई है.  याचिकाकर्ता शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने याचिका के बारे में बताया कि इतिहास गवाह है कि पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के निधन के बाद पहले खलीफा हजरत अबू बकर ने उन चार लोगों को पैगंबर हजरत मोहम्मद पर नाज़िल अल्लाह पाक के मौखिक संदेशों को किताब की शक्ल में ग्रहित करने को कहा. तब तक हजरत के मुख से समय-समय पर निकले संदेशों को लोग पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक तौर पर ही याद करते कराते रहे.

शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन ने कुरान पाक की 26 आयते हटाने को लेकर जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायरे की

सुप्रीम कोर्ट में अगले हफ्ते हो सकती है सुनवाई (पीटीआई)

जैद बिन ताबित को मिली आयत लिखने की जिम्मेदारी

पहले खलीफा ने उन चार लोगों को जिम्मेदारी दी जो हजरत के साथ रहे थे. सही अल बुखारी ग्रंथ के मुताबिक उबे बिन काब, मुआज बिन जबल, ज़ैद बिन ताबित और अबु ज़ैद को ये जिम्मेदारी दी गई उस वक्त तीन अन्य लोगों ने सर्वसम्मति से हफ्ज कुरान की आयतों को लिखने की जिम्मेदारी जैद बिन ताबित को दे दी. कुरान पाक लिख दिया गया और उसे पैगम्बर मोहम्मद साहब की चौथी बीवी और दूसरे खलीफा हजरत उमर की बेटी हफ्सा के हाथों में सौंप दी गई.

मुस्लिम नौजवानों का ब्रेनवॉश किया जा रहा

वही इन 26 आयतों में नफरत और गारत का सबक कैसे सिखाया जा सकता है यही वजह है कि इन्हीं आरोपों के आधार पर मुस्लिम युवाओं का ब्रेनवाश कर उनको गलत रास्ते पर उतारा जा रहा है उनको जिहाद के नाम पर बकाया और उकसाया जा रहा है जिससे देश की एकता और अखंडता खतरे में पड़ गई है

तीसरे खलीफा के समय जब इस्लाम को और मजबूती से फैलाने की मुहिम चली तब इस्लामी दुनिया में कई कुरान शरीफ समाज में प्रचलित थे. इस्लामिक ग्रंथ सही अल बुखारी के मुताबिक ऐसे दौर में तीसरे खलीफा हज़रत उस्मान ने पुराने कुरान शरीफ की प्रति की नकल लिखवाई. बाकी बची कुरान शरीफ की सभी प्रतियां खलीफा उस्मान के फरमान से नष्ट करवा दी गईं. उस कुरान की प्रतियां ही आज तक पढ़ी सुनी और समझी जा रही हैं.

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