न्यूज डेस्क, NATION EXPRESS, नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों को संबोधित करते हुए खिलौना बाजार को लेकर ‘लोकल फॉर वोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने खिलौनों को बाहर से आयात करने के बजाय उन्हें स्थानीय तौर पर तैयार करने पर जोर दिया।
पीएम मोदी की इस बात से पता चलता है कि वह चीन को भारतीय खिलौना बाजार से दूर करना चाहते हैं। इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा चीन के खिलाफ उठाए जाने वाले एक अन्य कदम के रूप में देखा जा सकता है। चीन का भारतीय खिलौना बाजार में बहुत बड़ा हिस्सा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, भारतीय खिलौने हमारे चिंतन का विषय है। हाल ही में, इस बात पर मंथन हुआ है कि भारत के बच्चों को नए-नए खिलौने कैसे मिलें। भारत खिलौना उत्पादन का बहुत बड़ा हब कैसे बने।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व खिलौना उद्योग सात लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी बहुत कम है।
उन्होंने कहा, ‘देश में स्थानीय खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। लेकिन आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि विश्व खिलौना उद्योग सात लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का है, सात लाख करोड़ रुपयों का इतना बड़ा कारोबार, लेकिन भारत का हिस्सा उसमें बहुत कम है।’
खिलौनों की विरासत, परंपरा और विविधता की याद दिलाते हुए मोदी ने कहा कि इतनी बड़ी युवा आबादी होने के बावजूद खिलौनों के बाजार में भारत की हिस्सेदारी इतनी कम होना अच्छा नहीं लगता।
उन्होंने कहा कि खिलौना उद्योग बहुत व्यापक है। गृह उद्योग हो, छोटे और लघु उद्योग हों, बड़े उद्योग या निजी उद्यमी, सभी इसके दायरे में आते हैं। इसे आगे बढ़ाने के लिए देश को मिलकर मेहनत करनी होगी।
प्रधानमंत्री ने स्टार्ट-अप और नए उद्यमियों से खिलौना बनाने का आह्वान करते हुए कहा, ‘अब सभी के लिए लोकल खिलौनों के लिए वोकल होने का समय है। आइए, हम अपने युवाओं के लिए कुछ नए प्रकार के, अच्छी गुणवत्ता वाले खिलौने बनाते हैं। खिलौना वो हो जिसकी मौजूदगी में बचपन खिले भी, खिलखिलाए भी। हम ऐसे खिलौने बनाएं, जो पर्यावरण के भी अनुकूल हों।’
आन्ध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम निवासी सी.वी. राजू की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतरीन गुणवत्ता के खिलौने बनाकर उन्होंने स्थानीय खिलौनों की खोई हुई गरिमा को वापस ला दिया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं। अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी संवार सकते हैं।
उन्होंने कहा कि बच्चों के जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर खिलौनों के प्रभाव का नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भी बहुत ध्यान दिया गया है और खेल-खेल में सीखना, खिलौने बनाना सीखना, खिलौने जहां बनते हैं, वहां का दौरा करना, इन सबको पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया है।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान अपने ही अंदाज में बच्चों के माता-पिता से यह कहते हुए क्षमा मांगी कि हो सकता है उन्हें अब बच्चों से नए-नए खिलौनों की मांग सुनने का एक नया काम सामने आ जाएगा।
Report By :- Madhuri Singh, न्यूज डेस्क, NATION EXPRESS, नई दिल्ली