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दारुल उलूम देवबंद का देश विरोधी फतवा : भारत में युद्ध के जरिए इस्लामिक राज्य की स्थापना करने के दौरान मरने वाले महान शहीद कहलाए जाएँगे और उन्हें जन्नत मिलेगी

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NATIONAL DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI

https://youtu.be/yi4j4b3hia0?feature=shared

गजवा का अर्थ होता है- इस्लाम को फैलाने के लिए की जाने वाली जंग। इस युद्ध में शामिल इस्लामिक लड़ाकों को ‘गाजी’ कहा जाता है। इस तरह मोटे तौर पर गजवा-ए-हिंद का मतलब भारत में युद्ध के जरिए इस्लामिक राज्य की स्थापना करने से है।

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद शहर में स्थित ‘दारुल उलूम मदरसा’ विवादित फतवों के कारण चर्चा में कई बार रहा है। लेकिन, इस बार उसने भारत विरोधी फतवा जारी कर अपनी कट्टर मानसिकता का प्रमाण दिया है। दारुल उलूम ने अपने फतवे में गजवा-ए-हिंद को मान्यता दे दी है। इस फतवे से बताया गया है कि भारत पर आक्रमण के दौरान मरने वाले महान शहीद कहलाए जाएँगे और उन्हें जन्नत मिलेगी। इस फतवे के खिलाफ अब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सहारनपुर पुलिस के अधिकारियों को कार्रवाई के लिए नोटिस जारी किया है।

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दरअसल, दारुल उलूम की साइट (darulifta-deoband.com) पर सवाल किया गया था कि क्या हदीस में भारत पर आक्रमण का जिक्र है जो उपमहाद्वीप में होगा? और जो भी इस जंग में शहीद होगा, वो महान शहीद कहलाएगा। और जो गाजी होगा वो जन्नती होगा।  

इसी सवाल के जवाब में दारुल उलूम की ओर से फतवा जारी किया गया। फतवे में ‘सुन्न अल नसा (Sunan-al-Nasa) ‘ नाम की किताब का जिक्र करते हुए कहा गया है कि इस किताब में गजवा-ए-हिंद को लेकर पूरा का पूरा चैप्टर है। इसमें हजरत अबू हुरैरा की हदीस का जिक्र करते हुए कहा गया है- “अल्लाह के संदेशवाहक ने भारत पर हमले का वादा किया था। उन्होंने कहा था कि अगर मैं जिंदा रहा तो इसके लिए मैं अपनी खुद की और अपनी संपत्ति की कुर्बानी दे दूँगा। मैं सबसे महान शहीद बनूँगा।”

इस फतवे में ये भी बताया गया कि देवबंद की मुख्तार एंड कंपनी ने इस मशहूर किताब को प्रिंट किया है।

सहारनपुर के डीएम और एसपी को एक नोटिस

अब इस फतवे में जहाँ भारत पर आक्रमण की बात को उचित ठहराने का प्रयास हुआ है। वहीं राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मुद्दे को उठाया है। उन्होंने सहारनपुर जिले के डीएम और एसपी को एक नोटिस जारी कर इस मामले में FIR दर्ज करने को कहा। एनसीपीसीआर ने नोटिस में कहा कि ये मदरसा भारत के बच्चों को देशविरोधी तालीम दे रहा है। इससे इस्लामी कट्टरपंथ को बढ़ावा मिलेगा। बच्चों में देश के प्रति नफरत पैदा होगी। आयोग ने कहा कि बच्चों को अनावश्यक रूप से परेशान करना या शारीरिक कष्ट देना तो किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 का उल्लंघन है।

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने दारुल उलूम देवबंद की ओर से गजवा-ए-हिंद को वैधता देने के फतवे को भारत के खिलाफ युद्ध के लिए मुसलमानों को उकसाने की कोशिश बताते हुए सरकार से इसके खिलाफ कठोरतम कार्रवाई करने की मांग की है. विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने दारुल उलूम देवबंद के इस फतवे पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस्लामी जिहादी आतंकवाद की जननी दारुल उलूम देवबंद की ओर से आतंकियों को मदद और उनकी पैरवी के किस्से तो लोगों ने बहुत सुने होंगे, लेकिन अब उसने अपने एक फतवे के जरिए खुले में गजवा-ए-हिंद को उचित ठहराकर भारतीय संविधान और सरकार को कड़ी चुनौती दे दी है और सरकार को इसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए.

विनोद बंसल ने कहा कि जिस सिद्धांत को दुनियाभर के दर्जनों इस्लामिक देश खारिज कर चुके हैं, आखिर उस सिद्धांत को भारत में स्थापित करने का प्रयास क्यों किया जा रहा है?

दारुल उलूम देवबंद, NCPCR

देश-विदेश के मुसलमानों को उकसा रहा दारुल उलूम देवबंद- वीएचपी

विश्व हिंदू परिषद प्रवक्ता ने आगे कहा कि गजवा-ए-हिंद के अनुसार जो मुसलमान इसके लिए शहीद होगा, वो सबसे बड़ा गाज़ी कहलाएगा, उसको जन्नत मिलेगी. इसे वैध करार देकर दारुल उलूम देवबंद केवल भारत के ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर बसे हुए मुसलमानों को भी भारत के विरुद्ध युद्ध के लिए उकसा रहा है.

उन्होंने कहा कि यह एकमात्र एक बड़ा मदरसा नहीं है, बल्कि इसकी प्रेरणा से लाखों मदरसे न सिर्फ भारत बल्कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे अनेक देशों में चल रहे हैं.

VHP ने इस्लामिक जगत के विद्वानों से की ये मांग

विनोद बंसल ने इस्लामिक जगत के विद्वानों, बुद्धिजीवियों और मुस्लिम उलेमाओं से भी आगे आकर यह स्पष्ट करने की मांग की है अगर वाकई इस्लाम में ऐसा लिखा गया है तो उन्हें बताना चाहिए कि भारत में संविधान का राज चलेगा या फिर ये फतवाई मानिसकता का राज चलेगा. उन्होंने सरकार से भी इस मानसिकता के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.

Report By :- ALISHA SINGH / HEENA MANSOORI, NATIONAL DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI

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