शहर के लोगों की लापरवाही के कारण ज्यादातर मुहल्लों में फैल गया कोरोना, अभी मौका है संभल जाए रांचीवासी
NEWS DESK, NATION EXPRESS, RANCHI
शहर के लोगों की लापरवाही के कारण कोरोना संक्रमण सभी 53 वार्डों के ज्यादातर मुहल्लों में फैल गया है। जबकि, पहली लहर में शहर के 53 में करीब 50 फीसदी वार्डों तक संक्रमण फैला था, वह भी सीमित मुहल्लों तक। लेकिन, अब शहर के 80 फीसदी इलाके में संक्रमण फैल चुका है। सिर्फ शहर में पांच हजार से अधिक संक्रमित मरीज हैं। रिम्स, सदर व निजी लैब में सैंपल जांच को देखें, तो अपर बाजार, एमजी रोड, चडरी, पुरुलिया रोड क्षेत्र में 500 से अधिक संक्रमित हैं।
जबकि, अरगोड़ा से कटहल मोड़ रोड, पुंदाग, डोरंडा, धुर्वा, बिरसा चौक क्षेत्र में 400 से अधिक संक्रमित हैं। इसके अलावा मोरहाबादी, बरियातू रोड, कांके रोड, पिस्का मोड़ से पंडरा व आईटीआई बस स्टैंड क्षेत्र में 350 से अधिक संक्रमित हैं। इसके बावजूद रांची नगर निगम शहर को सेनेटाइज करने में कोताही बरत रहा है। पिछली बार संक्रमण का दायरा सीमित था, तो निगम 26 वाहनों से प्रत्येक वार्ड को एक दिन के अंतराल पर सेनेटाइज करा रहा था, लेकिन इस बार 17 वाहनों को सेनिटाइजेशन में लगाया गया है।
परिजनों का आरोप- रिपोर्ट निगेटिव, पर कोविड वार्ड में कर दिया भर्ती, मौत
पारस अस्पताल ने कहा- मरीज पॉजिटिव था, लैब ने गलती से निगेटिव बताया
रेल कर्मी केटी राव की रेल अस्पताल में मौत हो गई। उनके भाई श्रीनिवास राव ने बताया कि 7 अप्रैल को भाई की तबियत बिगड़ी थी। डॉक्टरों ने उन्हें देखने के बाद कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है। मरीज ठीक है। 8 अप्रैल को उन्होंने अस्पताल प्रबंधन से मरीज को छोड़ने के लिए कहा तो बताया गया कि मरीज कोरोना पॉजिटिव है। फिर कोविड वार्ड में भर्ती कर दिया। केटी राव वीडियो कॉल कर रोज बता रहे थे कि यहां न इलाज हो रहा है, न ही खाना दिया जा रहा है। मुझे यहां से घर ले चलाे। 12 अप्रैल को परिजन अस्पताल से मरीज को रिलीज कराने गए, तो कोरोना रिपोर्ट निगेटिव दी। रिपोर्ट में टेस्ट की तारीख 3 अप्रैल दर्ज थी और रिपोर्ट देने की तिथि 4 अप्रैल। घर लाने के बाद 12 अप्रैल की रात 10 बजे केटी राव की तबीयत बिगड़ गई। तुरंत उन्हें रेल अस्पताल ले गए। ऑक्सीजन लेवल गिरने के कारण 13 अप्रैल को सुबह 10 बजे केटी राव की मौत हो गई।
अस्पताल का तर्क
पारस हॉस्पिटल के यूनिट हेड ने कहा कि रैपिड एंटीजेन टेस्ट में मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए। बाद में आरटीपीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल बाहर लैब में भेजा गया, जिसमें गलती से निगेटिव रिपोर्ट दे दी और कलेक्शन की तारीख भी गलत लिख दी। बाद में लैब ने इसे सुधारा। इसमें अस्पताल की गलती नहीं है। रेलकर्मी का इलाज करने वाली डॉ. माया ने कहा कि जब मरीज को ले जाया गया, तब उन्हें बुखार था। वह ऑक्सीजन पर था, परिजनों को सलाह दी गई थी कि जहां ऑक्सीजन की सुविधा हो, वहीं ले जाएं।