NATION EXPRESS DESK, NEW DELHI
कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए सिंघु बॉर्डर पर धरना देकर बैठे किसानों ने अपनी दिनचर्या को तय कर लिया है। जहां किसान सबसे पहले सुबह उठकर दैनिक कार्य करके नहाते ही शबद कीर्तन करते हैं तो कुछ किसान चाय व पकौड़े तैयार करने में लग जाते हैं। नाश्ता करने के बाद धरने में शामिल होते हैं और वहां कुछ समय बैठने के बाद लंगर की तैयारी शुरू कर देते हैं। लंगर में सेवा करने के बाद ताश खेलते हैं तो शाम की चाय भी होती है। उसके बाद शाम के खाने की तैयारी शुरू हो जाती है और रात में काजू-बादाम वाला दूध भी किसान सेहत फिट रखने के लिए पीते हैं। इस तरह से किसानों की दिनचर्या चल रही है। यहां किसानों के लिए कई तरह के इंतजाम जैसे वाशिंग मशीन से लेकर पैर की मालिश करने वाली मशीन तक सभी लगी हैंं। आगे पढ़ें किसानोंं की पूरी दिनचर्या और तस्वीरों में देखें सिंघु बॉर्डर पर मौजूद व्यवस्था…
किसान सिंघु बॉर्डर पर 27 नवंबर से धरना देकर बैठे हुए हैं। किसानों ने अपनी ट्रैक्टर-ट्रालियों को घर बनाया हुआ है। ट्रालियों को कमरे का रूप देकर पूरी व्यवस्था उनके अंदर रखते हैं। खाद्य सामग्री से लेकर सोने तक की व्यवस्था ट्राली के अंदर है तो किसी को नीचे सोना होता है तो वह गद्दे या वाटर प्रूफ टेंट का इस्तेमाल करता है।
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धरनास्थल पर कुछ किसान सुबह उठकर नहाने के बाद शबद कीर्तन करते हैं, जबकि उनके साथ के युवा किसान चाय व उसके साथ कुछ खाने जैसे पकौड़े आदि को बनाने में जुट जाते हैं। उसके बाद सभी नाश्ता करके धरने में पहुंच जाते हैं, जहां उनको अगली रणनीति की जानकारी मिलती है। वहां कुछ समय बिताने के बाद दोपहर के खाने की तैयारी के लिए वापस आ जाते है और लंगर तैयार किया जाता है। लंगर चखने के बाद कुछ देर आराम करते हैं और घर बातचीत करते है तो आपस में आंदोलन की चर्चा भी करते हैं।
महिला किसानों ने आकर हाथ बंटाना शुरू किया
सिंघु बॉर्डर पर धरने के शुरुआती दिनों में महिला किसान काफी कम थीं, जिससे लंगर तैयार करने से लेकर अन्य सभी कार्य पुरुष किसानों को खुद ही करने पड़ते थे। लेकिन किसानों को लगा कि आंदोलन लंबा चल सकता है, उसको देखते हुए पंजाब से महिला किसान भी काफी पहुंच गई हैं। उनके आने से लंगर तैयार करने से लेकर अन्य दैनिक कार्यों में किसानों को काफी मदद मिलती है। सब्जी बनाने की जिम्मेदारी पुरुष किसानों की होती है तो रोटी सेकने की पूरी जिम्मेदारी महिला किसान उठाती है। शाम की चाय भी ज्यादातर महिला किसान बनाती है।
कपड़े धोने के लिए लगाई मशीन
धरनास्थल पर कपड़े धोने के लिए काफी मशीनें लगा दी गई हैं और वहां कपड़े धोने की पूरी जिम्मेदारी युवा किसानों ने संभाली हुई है। युवा किसानों ने इसे अपनी दिनचर्या में शामिल कर लिया है। सफाई की सेवा भी युवा किसान करते हैं, जिससे वहां आसपास गंदगी नहीं रह सके।
पैर मसाज करने वाली लगी मशीनें
सिंघु बॉर्डर पर पैरों की मसाज करने वाली 25 मशीनें शुक्रवार को लगाई गई हैं। यह एक गैर सरकार संगठन खालसा के सहयोग से लगी है। यह प्रदर्शनकारी किसानों के लिए मुफ्त सेवा शुरू की गई है। इसके लिए उन्हें बस टोकन लेना होता है और फिर अपनी बारी का इंतजार करना होता है। खालसा एड के भारतीय निदेशक अमरप्रीत सिंह ने बताया कि उनके वालंटियर ने बताया था कि टिकरी बॉर्डर पर लोग हाथों से किसानों की मालिश कर रहे हैं। उनकी इसी बात ने संस्था को यह आइडिया दिया कि किसानों के लिए फुट मसाजर लगाया जाए। हम ऐसी सेवाएं अमरनाथ यात्रा और कांवड़ यात्रा के दौरान भी देते हैं।
Report By :- MADHURI, ANUJA & ShHADAB, NATION EXPRESS DESK, NEW DELHI