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बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के अरमानों पर फिरा पानी किस्मत ने नहीं दिया उनका साथ इस बार भी पांडे जी खा गए मात् कट गया पांडे जी का टिकट

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POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, PATNA

बक्सर का बेटा, बिहार का सिपाही (Gupteshwar pandey ticket) जैसे तमाम दावों के बीच पांडे जी यानि बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय (Former DGP Bihar) इस बार चुनाव (Bihar Election 2020) नहीं लड़ पाएंगे। दरअसल इसके पीछे भी एक दिलचस्प कहानी है।

बिहार के पूर्व डीजीपी के अरमानों पर बीजेपी के उम्मीदवारों की सूची ने पानी फेर दिया। इस बार गुप्तेश्वर पांडेय को उम्मीद थी कि किस्मत 2009 जैसा खेल उनके साथ नहीं खेलेगी। लेकिन ये पिक्चर क्लाइमेक्स पर आकर फिर से रिपीट हो गई। यानि दो 2009 में हुआ उसे इतिहास ने 2020 में दोहरा दिया। सवाल ये कि क्यों? नीतीश कुमार से करीबी संबंध के बावजूद भी ‘पांड़े जी’ कैसे मात खा गए।

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बिहार के पूर्व DGP गुप्तेश्वर पांडेय ने थामा JD(U) का दामन, बोले- 'राजनीति  नहीं समझता, साधारण आदमी हूं'

महाराष्ट्र के गृहमंत्री का दावा- हमारे दबाव में कटा ‘पांड़े जी’ का टिकट
महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने तो दावा ठोक दिया है कि उनकी सरकार के दबाव में गुप्तेश्वर पांडेय को टिकट नहीं मिला। उनका कहना है कि हमने बीजेपी से सवाल पूछा था कि क्या वो गुप्तेश्वर पांडेय के लिए प्रचार करेगी। अनिल देशमुख के मुताबिक उनके इसी सवाल के डर ने गुप्तेश्वर पांडेय को बेटिकट कर दिया। खुद सुनिए क्या कहा है महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख ने..

Gupteshwar Pandey (@ips_gupteshwar) | Twitterगुरुवार को गुप्तेश्वर पांडेय ने कहा कि मेरे वीआरएस लेने को चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं है, लेकिन मैं एनडीए के साथ हूं।  पूर्व डीजीपी पांडेय ने कहा, मेरे वीआरएस लेने और पार्टी की सदस्यता लेने को सीधे चुनाव से जोड़कर देखना ठीक नहीं है। चुनाव लड़ने की संभावना थी, किसी कारणवश ये समीकरण नहीं बैठा। राजनीति में बहुत सारी मजबूरियां होती हैं, लेकिन मैं एनडीए के साथ हूं और एनडीए के साथ रहूंगा – पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय

 

अगर डीजीपी को टिकट मिलता तो बक्सर के उम्मीदवार से था डर
सूत्र बताते हैं कि बीजेपी ने बक्सर से जिन परशुराम चतुर्वेदी को टिकट दिया है, उनकी जनता खासतौर पर किसानों के बीच अच्छी पैठ है। परशुराम ने सियासत की शुरुआत ही किसान नेता के तौर पर की थी। वहीं 2017 में भी परशुराम खासे चर्चा का केंद्र बने थे जब उन्होंने बीजेपी आलाकमान से लोकसभा के टिकट की ही मांग कर दी थी। और मांग भी फेसबुक पर खुलेआम पोस्ट लिख कर। उस वक्त तो उनपर कार्रवाई की तलवार तक लटक गई थी, लेकिन किसानों का नेता होने के चलते वो पार्टी में बने रहे। जाहिर है कि BJP अपनी पार्टी के साथ किसानों के स्थानीय नेता को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकती थी।

Dgp Gupteshwar Pandey Had Resigned 11 Years Ago Did Not Get Lok Sabha  Ticket From Buxar Had To Take Vrs Back - गुप्तेश्वर पांडेय ने 11 साल पहले  भी दिया था इस्तीफा,वहीं बक्सर और शाहपुर दोनों ही सीटें बीजेपी की परंपरागत सीट हैं। इसे छोड़ने से बीजेपी ने इनकार कर दिया और अपने उम्मीदवारों के नाम भी सामने रख दिए। जाहिर है कि ऐसे में ‘पांड़े जी’ का टिकट कटना तय था। यानि कुल मिलाकर तीन कारण… एक महाराष्ट्र सरकार के हमले का डर, दूसरा इलाके के धाकड़ उम्मीदवार का डर और तीसरा BJP की परंपरागत सीट का समीकरण।

गुप्तेश्वर पांडेय सोशल मीडिया पर दे रहे सफाई
हालांकि टिकट कटने के बाद गुप्तेश्वर पांडेय सोशल मीडिया पर इसका जवाब देने की कोशिश भी कर रहे हैं। अपने एक पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि ‘VRS लेने पार्टी की सदस्यता लेने को चुनाव न लड़ने से जोड़ना ठीक नहीं है। चुनाव लड़ने का मेरा मन था लेकिन समीकरण ठीक नहीं बैठा इसलिए चुनाव नहीं लड़ रहा। मैं नीतीश कुमार के साथ हूं, मैं NDA के साथ हूं। संभावना होगी तो मैं चुनाव प्रचार भी करूंगा। अब मैं राजनीतिक व्यक्ति हूं।’

हालांकि इस पुलिस अफसर को मिल गया JDU का टिकट
जेडीयू ने पूर्व आईपीएस सुनील कुमार को गोपालगंज जिले की भोरे सीट से टिकट दिया है। इस सीट से सुनील कुमार के बड़े भाई अनिल कुमार विधायक रह चुके हैं। पहली बार अनिल कुमार आरजेडी से विधायक बने थे। 2015 में वह कांग्रेस से चुनाव लड़े थे। अभी भोरे सीट से वह सीटिंग विधायक हैं। लेकिन महागठबंधन में सीट बंटवारे के बाद यह सीट भाकपा माले के खाते में चला गया है। ऐसे में अनिल कुमार इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। सुनील कुमार जेडीयू के टिकट पर इस सीट से चुनाव लड़ेंगे। टिकट मिलने के बाद सुनील कुमार ने तैयारी शुरू कर दी है।

Report By :- AARISH KHAN/MADHURI SINGH, POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, PATNA

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