अयोध्या:- अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर (RAM MANDIR) निर्माण के लिए भूमिपूजन का कार्यक्रम कल यानि पांच अगस्त को आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm modi) इसकी आधारशिला रखेंगे। सोमवार से ही इसकी तैयारियां शुरू हो गई हैं और मंगलवार से अयोध्या में मेहमानों का तांता भी लगना शुरू हो गया है। इसी बीच प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंदिर की प्रस्तावित भव्य तस्वीरें जारी कर दी हैं। राम मंदिर बननेे के बाद कैसा भव्य दिखेगा यह इन तस्वीरों से ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर अपने मूल डिजाइन से आकार में दोगुना होगा। मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकांतभाई सोमपुरा ने बीते शुक्रवार को बताया था कि पिछले साल आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर के डिजाइन को संशोधित किया गया है।
मंदिर नागर शैली में बनाया जाएगा और इसमें पांच गुंबद होंगे। पहले गुंबदों की संख्या दो रखी गई थी। पांच गुंबद होने से अधिक संख्या में श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन करेंगे और इसकी तैयारियां अयोध्या में जोरशोर से चल रही हैं।
सोमपुरा के अनुसार, मंदिर को बनकर तैयार होने में तीन साल का समय लगेगा। मंदिर तीन मंजिला होगा और यह वास्तु शास्त्र के हिसाब से बनाया जाएगा। मंदिर के एक डिजाइन पर 1990 में काम हुआ था। मंदिर का पहले जो डिजाइन तैयार किया गया था, वह दो मंजिला था। उस मंदिर में तीन मंडप और शिखर था। मंदिर की ऊंचाई 141 फीट थी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मंदिर के डिजाइन में संशोधन किया गया।
अब यह पुराने मॉडल से लगभग दोगुने आकार में होगा। अब इसमें गर्भगृह के ठीक ऊपर शिखर होगा और 5 गुंबद होंगे। मंदिर की ऊंचाई भी पहले से अधिक होगी। उन्होंने कहा कि इसकी दो वजह हैं, एक मंदिर के लिए अब भूमि की कोई कमी नहीं होगी और दूसरा, इतना अधिक प्रचार प्रसार होने के चलते प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शनों के लिए आएंगे। ऐसे में उन्हें देखते हुए आकार बढ़ाया गया।
77 वर्षीय सोमपुरा मंदिरों का नक्शा तैयार करने वाले आर्किटेक्ट परिवार से आते हैं जो 200 से अधिक ऐसे निर्माण का डिजाइन बना चुके हैं। उन्होंने बताया कि दिवंगत विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने करीब 30 साल पहले उनसे राम मंदिर का नक्शा तैयार करने को कहा था।
उस वक्त राम मंदिर का डिजाइन तैयार करना मुश्किल काम था, क्योंकि उन्हें माप की इकाई के रूप में अपने कदम का उपयोग करते हुए चित्र तैयार करने थे। उन्होंने बताया, जब 1990 में उन्होंने अयोध्या में पहली बार वह जगह देखी तो सुरक्षा कारणों से परिसर में कुछ भी ले जाने की अनुमति नहीं थी
Report By :- Aakansha Tiwar (Ayodhya)