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मोदी का 100 डेज प्लान FAIL ! देश में अब चलेगी ‘त्रिमूर्ति’ की मर्जी : CAA-NRC, UCC समेत कई मुद्दों पर चकनाचूर होगा BJP का ड्रीम

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नीतीश-नायडू UCC, CAA-NRC लागू नहीं होने देंगे, मुस्लिम आरक्षण और वक्फ बोर्ड खत्म करना दूर की कौड़ी 

एनडीए में शामिल 14 दलों के 53 सांसदों के समर्थन से नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं। विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने भी सरकार बनाने की कोशिशों से दूर रहने के फैसले से मोदी की राह आसान कर दी है। एनडीए के घटक दलों में जेडीयू और टीडीपी को भाजपा के कई एजेंडों से असहमति रही है। इसलिए नरेंद्र मोदी पीएम बन कर भी पिछली बार की तरह स्वतंत्र फैसले नहीं ले पाएंगे।

एनडीए में शामिल ‘त्रिमूर्ति’ यानी तीन प्रमुख सहयोगी दलों के पास ही 33 सांसदों की चाबी है। इनमें 16 सीटों पर जीत हासिल करने वाली चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, 12 सीटों वाली नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और 5 सीटें जीतने वाली चिराग पासवान की पार्टी एलजेपीआर शामिल हैं।

BJP को बहुमत ना मिलने से PM मोदी के ‘विजन’ को लगेगा सबसे बड़ा झटका, UCC से लेकर NRC लाना अब मुश्किल

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प्लान तैयार था। तीसरी बार PM बनते ही नरेंद्र मोदी कौन से बड़े फैसले लेंगे, फोकस क्या रहेगा इसके लिए वर्क प्लान रेडी था। फिर 4 जून, 2024 आया और हालात बदल गए। 400 पार तो दूर, BJP बहुमत के आंकड़े से भी दूर रह गई। NDA को बहुमत तो मिला, लेकिन साथ मिले गठबंधन के दो मजबूत साथी TDP और JDU। इनके बिना फिलहाल बहुमत नहीं है और इन्हें इस 100 दिन के प्लान में से कई चीजें मंजूर नहीं हैं।

नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू कई बार यूनिफॉर्म सिविल कोड, CAA-NRC, प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को खत्म करने, मुस्लिम रिजर्वेशन और वन नेशन-वन इलेक्शन पर विरोध दर्ज कराते रहे हैं।  किसी की भी गैर-जरूरी मांगों के आगे नहीं झुकेगी।

क्या CAA से देश में रह रहे किसी मुस्लिम नागरिक की नागरिकता छिनेगी? -  Citizenship Amendment Act CAA Rules Indian Muslim Shaheen Bagh Citizenship  Act NTC - AajTakBJP ने प्लान-B पर भी काम शुरू कर दिया है और छोटे दलों समेत इंडिपेंडेंट कैंडिडेट से बात की जा रही है।

सबसे पहले जानते हैं, क्या है मोदी का 100 दिन वाला एक्शन प्लान।

10 साल ट्रेलर देखा, पिक्चर अभी बाकी है…
23 फरवरी, 2024 को दिल्ली में PM मोदी ने मंत्रियों से कहा था कि अगले 5 साल का रोडमैप और 100 दिनों का एक्शन प्लान बनाएं। अफसर आचार संहिता के दौरान इस पर होमवर्क करते रहे। 5 अप्रैल को राजस्थान के चूरु में एक चुनावी रैली में खुद मोदी ने कहा, ’10 साल में हमने जो काम किया वो ट्रेलर था, पूरी पिक्चर अभी आनी बाकी है।’

NATION EXPRESS ने  BJP में अपने सूत्रों से इस प्लान की डीटेल हासिल की। इसके मुताबिक इन मुद्दों पर 100 दिनों में एक्शन लेने की तैयारी थी…

1. वन नेशन-वन इलेक्शन
2. यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)
3. मुस्लिम आरक्षण खत्म करना
4. प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट में बदलाव
5. दिल्ली मास्टर प्लान
6. वक्फ बोर्ड खत्म करना
7. महिला आरक्षण
8. 70 साल के बुजुर्गों के लिए मुफ्त इलाज
9. पेपर-लीक नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कानून
10. CAA का कम्प्लीट इम्प्लिमेंटेशन
11. यूनियन बजट
12. न्यू एजुकेशन पॉलिसी
13. जनगणना (2026 में परिसीमन होना है)
14. लखपति दीदी की संख्या 3 करोड़ तक ले जाना
15. PM सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना
16. किसानों के लिए ऑयल सीड्स और पल्सेज पर ध्यान
17. भारत को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाना
18. रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म पर ध्यान देना
19. स्केल, स्कोप, स्पीड, स्किल के एजेंडे पर काम करना 

यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना : नीतीश का स्टैंड- हर हाल में लागू नहीं होने देंगे

Uniform Civil Code: लॉ कमीशन ने समान नागरिक संहिता पर शुरू की कंसल्टेशन  प्रोसेस, धार्मिक संगठनों-आम लोगों से मांगी राय | News Track in Hindi

देशभर में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करना BJP के कोर एजेंडे में हमेशा से शामिल रहा है। इस मुद्दे को लेकर BJP की पुरानी पार्टी जनसंघ के फाउंडर रहे श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। BJP हमेशा से कहती आ रही है कि वह देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करेगी। मोदी सरकार बनने के बाद भी कई बार इसको लेकर सदन में भी मुद्दा उठा है। BJP सांसद इसको लेकर प्राइवेट बिल भी ला चुके हैं। 28 जून 2023 को PM मोदी ने कहा था कि भारत को UCC की जरूरत है, क्योंकि देश “अलग-अलग समुदायों के लिए अलग कानून” की दोहरी प्रणाली के साथ नहीं चल सकता है। तीन तलाक मामले में भी कई मुस्लिम कहते हैं कि ये उनका निजी मामला है जिसमें सरकार ने दखल दिया है। नीतीश कुमार हमेशा से यूनिफॉर्म सिविल कोड के खिलाफ रहे हैं। जुलाई 2023 में उन्होंने कहा था कि वे किसी भी कीमत पर बिहार में UCC लागू नहीं होने देंगे। इससे पहले 2017 में नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था कि UCC लागू नहीं करना चाहिए।

UCC को लेकर TDP का स्टैंड भी नीतीश कुमार की तरह ही रहा है।

पिछले साल जुलाई में जब देश में UCC की चर्चा छिड़ी थी तब कुछ मुस्लिम समुदाय के लोगों ने चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की थी। जिसके बाद नायडू ने कहा था कि वे हमेशा मुस्लिमों के हितों की रक्षा के लिए उनके साथ खड़े रहेंगे। उनकी पार्टी मुस्लिमों के हितों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाएगी। नीतीश कुमार और नायडू के स्टैंड से साफ है कि UCC लागू करना मोदी सरकार के लिए बेहद मुश्किल होगा। ये दोनों पार्टियां इस मुद्दे पर सरकार से अलग हो सकती हैं। इसलिए मोदी सरकार अपने इस एजेंडे को शायद ही हवा देने की कोशिश करेगी।

मुस्लिम आरक्षण को खत्म करना : नीतीश की चुप्पी, लेकिन TDP खुलकर कर रही मुस्लिम आरक्षण का सपोर्ट 

PM Narendra Modi 100-Day Agenda; UCC | One Nation One Election | JDU-TDP  साथ, मोदी का 100 डेज प्लान लागू होना मुश्किल: मुस्लिम आरक्षण, UCC, अग्निवीर  पर सहमति नहीं; क्या BJP झुकेगी |

2024 लोकसभा चुनाव में BJP ने मुस्लिम आरक्षण खत्म करने का मुद्दा प्रमुखता से उठाया। प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित BJP के तमाम बड़े नेताओं ने मुस्लिम आरक्षण खत्म करने की बात कही। 30 अप्रैल को तेलंगाना में एक रैली में PM मोदी ने कहा- ‘कांग्रेस अपने वोट बैंक के लिए संविधान का अपमान कर रही है, लेकिन उन्हें बता देना चाहता हूं कि जब तक मैं जिंदा हूं, तब तक दलितों और OBC के हिस्से के आरक्षण को धर्म के आधार पर मुस्लिमों को नहीं बांटने दूंगा।’

मई 2024, आरा में अमित शाह ने कहा- ‘आप 400 का आंकड़ा पार करवाइए। हम विभिन्न राज्यों में मुस्लिम को मिल रहे आरक्षण को रद्द करके पिछड़ा वर्ग को दे देंगे।’ मुस्लिम आरक्षण पर TDP का स्टैंड BJP के स्टैंड से एकदम उल्टा है। TDP लंबे समय से मुस्लिम आरक्षण का सपोर्ट करती आ रही है। इस चुनाव में भी प्रधानमंत्री मोदी के बयान के अगले ही दिन TDP प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि हम शुरुआत से 4 प्रतिशत मुस्लिम आरक्षण का सपोर्ट करते आ रहे हैं। यह आरक्षण जारी रहेगा।’ बिहार में 90 के दशक से ही मुस्लिमों को OBC कोटे में आरक्षण मिल रहा है। इस चुनाव में मोदी के बयान के बाद नीतीश कुमार ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर कुछ नहीं कहा, लेकिन जदयू महासचिव ने जरूर इस पर बयान दिया। केसी त्यागी ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण देना मंडल कमीशन की भावनाओं के खिलाफ है।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि चुनाव के वक्त भले ही नीतीश ने मुस्लिम आरक्षण को लेकर मोदी का विरोध नहीं किया, लेकिन अब वे मुस्लिम आरक्षण खत्म करने पर सरकार का साथ छोड़ सकते हैं, क्योंकि बिहार में मुस्लिम जदयू के वोटर माने जाते हैं। बिहार में लंबे समय से मुस्लिमों को आरक्षण भी मिल रहा है।

TDP और JDU के स्टैंड से साफ है कि मुस्लिम आरक्षण को खत्म करना मोदी सरकार के लिए नामुमकिन सा है।

नमाज अदा करने के लिए मुस्लिम समुदाय ने मांगी पुलिस सुरक्षा Una News -  Muslim community sought police protection

कौन से मुद्दे हैं, जिन पर JDU को ऐतराज है
जेडीयू की तरफ से नीतीश कुमार ने BJP को सांसदों का समर्थन पत्र सौंप दिया है। इसके एक दिन के अंदर ही JDU प्रवक्ता केसी त्यागी ने अग्निवीर और यूनिफॉर्म सिविल कोड पर सवाल उठा दिए हैं।केसी त्यागी ने कहा, ‘अग्निवीर योजना को लेकर लोग नाराज हैं। हमारी पार्टी इस पर विस्तार से चर्चा चाहती है। UCC पर हमारा 10 साल पुराना स्टैंड है। नीतीश कुमार ने विधि आयोग को चिट्ठी लिखी थी कि इसमें सुधार होना चाहिए, लेकिन सबसे पूछकर करो।’

‘हम इसके खिलाफ नहीं हैं, लेकिन सभी के हितों का ख्याल रखकर रास्ता निकाला जाना चाहिए। वन नेशन-वन इलेक्शन पर हम साथ हैं। जातिगत गणना को पूरा देश मान रहा है, किसी की विरोध करने की हिम्मत नहीं है।’

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मोदी पर होंगे किस-किस तरह के दबाव?

नरेंद्र मोदी तीसरी बार सरकार तो बना लेंगे, लेकिन वे पहले की तरह उन्मुक्त फैसले नहीं ले पाएंगे। उनके फैसलों में सहयोगी दलों की सलाह महत्वपूर्ण होगी। अपने दूसरे कार्यकाल में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत होने के कारण नरेंद्र मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) तो बना लि., लेकिन यूनिफार्म सिविल कोड (UCC) पर आम सहमति बनानी अब मुश्किल दिखती है। एक देश, एक चुनाव पर भी आम सहमति बनाने में अब उन्हें मुश्किल आएगी। हालांकि सहयोगी दलों में सिर्फ टीडीपी ही इसके विरोध में है। जेडीयू इसके पक्ष में है। एलजेपी (आर) को भी कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। चूंकि इस बार राम मंदिर निर्माण का लाभ भाजपा को नहीं मिला है, इसलिए काशी-मथुरा पर भाजपा को अपने दावे से पीछे हटना पड़ सकता है। टीडीपी भाजपा के एक एजेंडे परिसीमन के भी खिलाफ रही है। महिला आरक्षण का कानून 2029 में लागू होना है। इसके लिए परिसीमन अनिवार्य है। भाजपा को इस पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के विनिवेश पर जेडीयू को एतराज रहा है। इसका भी हल भाजपा को ढूंढना पड़ेगा।

Report By :- ANUJA AWASTHI / MADHURI SINGH, NATIONAL DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI

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