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शिमला
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश में दुनिया की सबसे लंबी सुरंग ‘अटल टनल’ का उद्घाटन किया। उद्घाटन के बाद पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘अटल टनल’ लेह- लद्दाख की लाइफलाइन बनेगा। उन्होंने कहा कि हमेशा से यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने की मांग उठती रही है। लेकिन लंबे समय तक हमारे यहां बॉर्डर से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट या तो प्लानिंग की स्टेज से बाहर ही नहीं निकल पाए या जो निकले वो अटक गए, लटक गए, भटक गए।
पीएम ने कहा कि एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस रफ्तार से 2014 में अटल टनल का काम हो रहा था, अगर उसी रफ्तार से काम चला होता तो ये सुरंग साल 2040 में जाकर पूरा हो पाती। अटल टनल के काम में भी 2014 के बाद, अभूतपूर्व तेजी लाई गई। अटल टनल की तरह ही अनेक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स के साथ ऐसा ही व्यवहार किया गया। लद्दाख में दौलत बेग ओल्डी के रूप में सामरिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण एयर स्ट्रिप 40-45 साल तक बंद रही। क्या मजबूरी थी, क्या दबाव था, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता।
हाइलाइट्स:
- अटल सुरंग का उदघाटन करने शिमला पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी
- उदघाटन के बाद भाषण के दौरान किया दौलत बेग ओल्डी का जिक्र
- लद्दाख में है दौलत बेग ओल्डी, 40-45 साल तक बंद रही यहां के एयरस्ट्रिप
- लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सबसे ऊंचे इलाके के में है दौलत बेग ओल्डी
- दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप दौलत बेग ओल्डी में स्थित है
बीते दिनों भी डीबीओ पर हुई थी चर्चा
पीएम मोदी ने जिस दौलत बेग ओल्डी का जिक्र किया हम उसके बारे में आपको बताते हैं। बीते दिनों लद्दाख में भारत और चीन के बीच उपजे तनाव को देखते हुए दौलत बेग ओल्डी का इलाका चर्चा में आया था। लद्दाख में भारतीय क्षेत्र के सबसे ऊंचे इलाके के रूप में मशहूर DBO को सामरिक महत्व के सबसे महत्वपूर्ण इलाके के रूप में जाना जाता है।
दुनिया की सबसे ऊंची एयस्ट्रिप
पूर्वी लद्दाख के इस इलाके में दुनिया की सबसे ऊंची एयरस्ट्रिप भी मौजूद है, जिसपर भारत का आधिपत्य है। चीन से संघर्ष की स्थितियों में मालवाहक जहाजों से लेकर लड़ाकू विमानों की पहुंच के लिए इस स्ट्रिप को सामरिक रूप में बेहद खास माना जाता है।
अडवांस लैंडिंग ग्राउंड
दौलत बेग ओल्डी यानि डीबीओ का ये इलाका दुनिया से इसी एयरस्ट्रिप के लिए मशहूर है। इस इलाके में तीन साल पहले भारतीय वायुसेना के बिग साइज विमानों की लैंडिंग कराई गई थी। अपने सामरिक महत्व के कारण श्योक और काराकोरम के बीच मौजूद दौलत बेग ओल्डी को इंडियन एयरफोर्स के एक अडवांस लैंडिंग ग्राउंड के रूप में जाना जाता है।
युद्ध हुआ तो इंडियन एयर फोर्स को मिलेगा फायदा
1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान बनाई गई दौलत बेग ओल्डी की हवाई पट्टी पर कुछ साल पहले भारतीय वायु सेना के सुपर हरक्युलिस विमान उतारे गए थे। इसके अलावा यहां पर कई बड़े लड़ाकू जहाजों की भी लैंडिंग करा गई थी। ऐसे में इस एयरस्ट्रिप पर लैंडिंग और ऑपरेशन के पुराने अनुभवों के कारण एयरफोर्स को युद्ध के दौरान बड़ा एडवांटेज मिल सकता है।
6,600 फीट पर बनी सड़क लेह और काराकोरम को जोड़ती है
दौलत बेग ओल्डी के इस इलाके को श्योक वैली और दारबुक से जोड़ने वाली सड़क को DSDBO रोड के नाम से जाना जाता है। करीब 16600 फीट पर बनी इस सड़क से लेह और काराकोरम आपस में जुड़ते हैं।
7 किलोमीटर दूर है एओसी
DSDBO रोड की लंबाई करीब 254 किलोमीटर है और इस सड़क के जरिए ही लद्दाख का इलाका चीन से अलग होता है। इसी इलाके में दौलत बेग ओल्डी भी स्थित है, जहां से वास्तविक नियंत्रण रेखा की कुल दूरी सिर्फ 7 किलोमीटर है।
Report By :- YASHVI SHARMA, NEWS DESK, NATION EXPRESS, SHIMLA