Nation express
ख़बरों की नयी पहचान

RSS का सपना पूरा : योगी और मोदी के नेतृत्व में भारत 2024 तक बन जाएगा हिन्दू राष्ट्र, सिर्फ हिंदू ही रह पायेंगे मुसलमानों को जाना होगा पाकिस्तान या अपनाना होगा हिंदू धर्म

0 421

POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, UTTAR PARDESH

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का बरसों से संजोया गया हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा होने के बहुत करीब है, जिसके जश्न में अब भारतीय आबादी का एक बड़ा हिस्सा भी शामिल है.

यह भारत के संवैधानिक इतिहास का सबसे खराब दिन है, जिसका नतीजा देश के विघटन के तौर पर निकल सकता है.

कांग्रेस नेता, वकील और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम के इन कठोर शब्दों को डरावनी भविष्यवाणी कहा जा सकता है.

यूपी के बलिया के बैरिया से भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह ने दावा किया कि भारत वर्ष 2024 तक हिन्दू राष्ट्र हो जाएगा। सिर्फ ऐसे मुस्लिम ही यहां रह पाएंगे जो हिंदू संस्कृति को आत्मसात करेंगे। जो हिन्दू संस्कृति को नहीं मानेंगे वे लोग दूसरे देशों में शरण लेने के लिए स्वतंत्र हैं।

- Advertisement -

BJP - 2024 tak Bharat banega HINDU RASHTRA | हिन्दू राष्ट्र बनेगा भारत  मुसलमानों को बाहर निकालो, - YouTube

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अवतार पुरुष बताते हुए कहा कि संघ के साधकों और ईश्वर की सत्ता सत्य है तो 2024 तक भारत योगी और मोदी के नेतृत्व में हिन्दू राष्ट्र बनेगा।

संघ इसी पर कार्य कर रहा है और राष्ट्र चिंतन अगर परिवर्तन है तो मान लीजिये की धर्म परिवर्तन भी राष्ट्रीय चिंतन परिवर्तन ही है। शनिवार को बलिया में पत्रकारों से बातचीत के दौरान मुसलमानों की देशभक्ति पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि बहुत कम मुसलमान ही राष्ट्रभक्त हैं।

 

राराजदीप सरदेसाई की कलम से

राजदीप सरदेसाई का 'डर'

डर- एक ऐसा शब्द है, ऐसी भावना है, जिसे किसी के मन में बिठा कर आप अपना काम निकाल सकते हैं। किसी को उसके काल्पनिक दुश्मन का डर दिखा कर उससे काम निकलवाया जा सकता है। पाकिस्तान, अमेरिका को धमका सकता है कि अगर उसने उसका साथ नहीं दिया तो वो चीन के क़रीब हो जाएगा। वामपंथियों की भी यही चाल रही है। वो मुस्लिमों को हिन्दुओं का डर दिखाते हैं और दलितों को कथित सवर्णों का। फिर वो बताते हैं कि इस डर को खत्म कैसे किया जाए? यहाँ हम ये भी सोच सकते हैं कि जिस डर को वामपंथी किसी के मन में बिठाने का प्रयास करते हैं, क्या उसका कुछ भाग उनके मन में भी रहता है? क्या वो अपने X मात्रा में डर को 100X बना कर पेश करते हैं।

राजदीप सरदेसाई के ताज़ा लेख से तो यही लगता है। उनका मानना है कि अगला दशक काफ़ी अशांत रहने वाला है। कारण? क्योंकि 2029 में नरेंद्र मोदी चौथी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे होंगे। सरदेसाई अपने मन में बैठे ‘डर’ को ‘जनता का डर’ और ‘ख़तरनाक भविष्य’ बता कर पेश कर रहे हैं। उनका ये डर और भी गहरा तब हो जाता है, जब वो कल्पना करते हैं कि पीएम मोदी 2029 की जीत के बाद राष्ट्रपति भी बन सकते हैं। लोकतंत्र तार-तार हो गया है और संविधान में बदलाव कर के राष्ट्रपति द्वारा ही सरकार चलाने का प्रावधान किया गया है।

क्या ये सरदेसाई का डर है? या फिर वो एक ‘डर’ का निर्माण कर रहे हैं, कल्पनाओं का आधार पर। वो डर, जिसे दिखा कर वो जनता को बरगला सकते हैं। उन्हें ये भी डर है कि धर्मनिरपेक्ष अर्थात सेक्युलर, इस शब्द को संविधान से निकाल बाहर किया जाएगा। सरदेसाई लिखते हैं कि 2029 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ हो रहे हैं, भारत हिन्दू राष्ट्र बन गया है और मोदी ज़िंदगी भर के लिए राष्ट्रपति बन गए हैं। राजदीप सरदेसाई जैसों के लिए ‘डर’ को प्लांट करना कठिन नहीं है। वो शब्दों के साथ खेल कर ऐसा कर लेते हैं। फिर इस ‘डर’ का समाधान क्या है? वही है, जो वामपंथी बताएँगे।

आप क्रोनोलॉजी समझिए। वो डर का निर्माण करेंगे, डर दिखाएँगे और फिर उसका समाधान बताएँगे। फिर अगले ही पैराग्राफ में सरदेसाई पूछते हैं कि क्या ये सिर्फ़ एक कल्पना भर है? यहाँ वो उदाहरण देने के लिए एक दशक पीछे जाते हैं। अब तक वो एक दशक आगे घूम रहे थे। बकौल सरदेसाई, जनता ने 2009 में हिंदुत्व को नकार दिया था। भले ही उस चुनाव में भाजपा की हार के हज़ार कारण हों, इसे ‘हिंदुत्व की हार’ के रूप में ही देखा जाएगा। सरदेसाई ने फरमान जारी कर दिया है तो बाकी के वामपंथी भी हुआँ-हुआँ करते हुए इसे दोहराएँगे ही। सच है, 2009 में एलके आडवाणी थके-थके लग रहे थे और वाजपेयी संन्यास ले चुके थे।

इसके बाद शुरू होता है राजदीप का असली प्रपंच। राजदीप लिखते हैं कि उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसे नेता थे, जिनके बारे में धारणा बना दी गई थी कि वो विभाजन पैदा करने वाले नेता हैं। यहाँ ‘वाइब्रेंट गुजरात’ से लेकर ‘डिजिटल शिकायत प्लेटफॉर्म’ तक, सभी चीजें गौण हो जाती है और गुजरात में विकास की बात न कर मोदी को विभाजनकारी इसलिए बताया जाता है क्योंकि ये ‘धारणा’ इन्हीं वामपंथियों ने बनाई थी। 2002 दंगों को रटने वाले राजदीप को ये बखूबी पता है। लेकिन फिर भी, वो लिखते हैं कि मोदी की विभाजनकारी छवि उस समय गठबंधन सरकार चलाने के लिए उपयुक्त नहीं मानी जा रही थी।

आम धारणा वही है, जो वामपंथी लिख दें। राजदीप का यहीं से विलाप प्रारम्भ हो जाता है। वो लिखते हैं कि देखो, 2009 के सारे राजनीतिक विश्लेषण फेल हो गए और आज नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति की सबसे बड़ी हस्ती हैं, जिनके इर्द-गिर्द संगठन और सरकार दोनों ही घूम रही है। फिर राजदीप को इस बात से थोड़ी ख़ुशी मिलती है कि मार्च 2017 में 71% भूभाग पर राज करने वाली भाजपा राज्यों में अब मात्र 50% से भी कम पर आ गई है। राजदीप को महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के दोबारा सीएम बनने वाले प्रकरण से भी थोड़ी उम्मीद बँधती है। वे लिखते हैं कि सत्ता का समीकरण तो महज 12 घंटों में भी बदल सकता है।

राजदीप का डर फिर से आकर उनके सिर पर बैठ जाता है क्योंकि राज्यों में भाजपा की हार कैसे-कैसे हुई है, ये उन्हें भी पता है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में कॉन्ग्रेस ने बहुमत न मिलने के बावजूद सरकार बनाई। जम्मू-कश्मीर 2 केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित हो गया। महाराष्ट्र में राजग को बहुमत मिलने के बावजूद भाजपा को सत्ता से दूर रखा गया। झारखंड में भाजपा के वोट शेयर में वृद्धि हुई है। राजदीप जानते हैं कि भाजपा कमज़ोर नहीं हुई है और यही बात वो लिखते भी हैं कि भले ही राज्यों में भाजपा हार जाए, हिंदुत्व वाली विचारधारा का मुख्यधारा का नैरेटिव बन जाना खतरनाक है और ये आगे बढ़ता जाएगा।

राजदीप ने अभी मोदी का डर दिखाया। हिन्दू राष्ट्र का डर दिखाया। अब वो नया डर ये दिखाते हैं कि भले ही भाजपा और मोदी रहें न रहें, हिंदुत्व तो राजनीति में घुस चुका है। बकौल सरदेसाई, भारत के माध्यम वर्गीय परिवारों को अपनी हिन्दू जड़ों का भान हो चुका है और मुस्लिम-विरोधी प्रोपेगेंडा के प्रभाव में एक पूरी की पूरी जनरेशन बड़ी हो रही है। जैसा कि अपेक्षित है, सीएए विरोध के नाम पर मुस्लिमों की भीड़ द्वारा रेलवे को 250 करोड़ का नुकसान पहुँचाए जाने और जुमे की नमाज के बाद सार्वजनिक सम्पत्तियों को तोड़फोड़ कर दंगा करने वालों के बारे में उन्होंने कुछ नहीं लिखा।

किसने चलाया एंटी-मुस्लिम प्रोपेगेंडा? पीएम मोदी तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करते हैं। अगर मीडिया ने चलाया तो राजदीप भी इसके बराबर के दोषी हुए। दरअसल, राजदीप चाहते हैं कि हम इस पर बात करें कि एंटी-मुस्लिम प्रोपेगेंडा किसने चलाया। लेकिन वास्तविकता ये है कि ऐसा कोई प्रोपेगंडा बड़े स्तर पर है ही नहीं और जनता आज सोशल मीडिया के ज़माने में वो सब देख रही है, जो हो रहा है। हर घटना का सही चित्रण जनता तक पहुँच रहा है। ऐसे में राजदीप जैसों का किरदार सीमित रह गया है और यही उनके पिनपिनाने का कारण भी है।

“अयोध्या, काशी और मथुरा में मंदिरों का निर्माण शुरू हो जाएगा। विहिप और आरएसएस इन कार्यों में लगी होगी। 2024 में एक भव्य राम मंदिर खड़ा हो जाएगा। शिक्षा व्यवस्था हिंदुत्व के अनुसार चलेगी। अल्पसंख्यक मामले मंत्रालय को फंडिंग नहीं मिलेगी। मंदिरों की सुरक्षा के लिए एक अलग मंत्रालय बनेगा।” एक साँस में इतने सारे झूठ बोलने की काबिलियत राजदीप और उनके गैंग में ही हो सकती है। कल्पना की चाशनी में झूठ मिला कर डर के साथ परोसने पर वो काम कर जाता है। राजदीप ने भी यहाँ झूठा डर दिखाया। किसने अल्पसंख्यक मामलों मंत्रालय की फंडिंग रोकी है?

Leave A Reply

Your email address will not be published.

GA4|256711309