किसानों को मनाने में नाकाम रहे मंत्रियों की शाह के घर बैठक जारी; पुलिस ने दिल्ली-नोएडा बॉर्डर बंद किया
POLITICAL DESK, NATION EXPRESS
कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन आज 7वें दिन भी जारी है। मंगलवार को किसानों को मनाने में नाकाम रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल की गृह मंत्री अमित शाह से उनके घर पर मीटिंग चल रही है। उधर, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता शाम 4 बजे सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। दूसरी तरफ पुलिस ने आज नोएडा लिंक रोड पर स्थित चिल्ला बॉर्डर भी बंद कर दिया गया है। गौतम बुद्ध गेट पर किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए यह फैसला लिया।
मंगलवार को सरकार के साथ 35 किसान संगठनों की 3 घंटे की बातचीत बेनतीजा रही। मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के अलावा रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोमप्रकाश मौजूद रहे थे। मीटिंग में सरकार कानूनों पर प्रजेंटेशन दिखाकर फायदे गिनवाती रही, लेकिन किसान तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े रहे। उन्होंने इतना तक कह दिया कि हम कुछ तो हासिल करेंगे, भले गोली हो या फिर शांतिपूर्ण हल। किसानों ने कृषि कानूनों को डेथ वॉरंट बताया।
चाय आई तो किसान बोले- धरनास्थल पर आइए, जलेबी खिलाएंगे
3:45 बजे : किसानों और सरकार की मीटिंग शुरू हुई। 4 बजे सरकार की तरफ से किसान नेताओं को चाय ऑफर की गई, लेकिन उन्होंने कहा कि चाय नहीं, हमारी मांगें पूरी करिए। आप धरना स्थल पर आइए, हम आपको जलेबी खिलाएंगे।
4.15 बजे : कृषि मंत्री ने किसानों से आपत्तियां पूछीं। किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने तीनों कानूनों को रद्द करने और MSP की गारंटी देने की मांग रखी। इस पर पीयूष गोयल ने टोकते हुए कहा कि हम तीनों बिलों और MSP पर एक PPT तैयार करके लाए हैं, वो देख लें, फिर आगे बात करेंगे।
5.15 बजे : केंद्रीय राज्य मंत्री सोमप्रकाश ने कहा कि ये तीनों कानून आप किसानों के फायदे के लिए हैं। किसान बोले कि हमारी जमीनें बड़े कॉरपोरेट ले लेंगे। आप कानून में कॉरपोरेट को मत लाइए। ये कानून किसानों के लिए डेथ वॉरंट हैं।
6.45 बजे : किसान नेताओं ने कहा जब तक फैसला नहीं होता आंदोलन जारी रहेगा। इसके बाद तोमर बोले कि 3 दिसंबर को फिर मीटिंग करेंगे।
किसानों को चिंता है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की व्यवस्था खत्म हो सकती है। पंजाब और हरियाणा के किसान ही इन तीन नए कानूनों का विरोध इसलिए भी कर रहे हैं क्योंकि केंद्र सरकार की एक कमेटी की रिपोर्ट बताती है कि देश के सिर्फ 6% किसान ही MSP का फायदा लेते हैं, उनमें भी सबसे ज्यादा किसान इन्हीं दोनों राज्यों के होते हैं।
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अकाली दल का आरोप- सरकार किसानों को थकाना चाहती है
कृषि बिलों के विरोध में NDA से अलग हुए शिरोमणि अकाली दल ने किसानों से बातचीत बेनतीजा रहने के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया। अकाली दल ने कहा कि सरकार बातचीत को इसलिए लंबा खींच रही है, ताकि किसान थक जाएं।
Report By :- MINAKSHI SINGH, POLITICAL DESK, NATION EXPRESS