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एक दर्जन से अधिक आदिवासी संगठनों ने सरकार के फैसले को नकारते हुए सरहुल शोभायात्रा निकालने का निर्णय लिया। अध्यक्षता करते हुए डॉ करमा उरांव ने कहा कि प्रशासन का निर्णय एकतरफा है। सरहुल आदिवासियों का महत्वपूर्ण त्योहार है। इसलिए कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए दिन में पूजा और दोपहर बाद शोभायात्रा निकाली जाएगी। जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री, राज्यपाल और आदिवासी मंत्रियों से मुलाकात करेगा।
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केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की ने कहा कि 14 अप्रैल को उपवास और मछली केकड़ा पकड़ना, 15 को पूजा और सरहुल शोभायात्रा, 16 को फुलखोंसी किया जाएगा। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने कहा कि सरकार ने आदिवासियों की आस्था पर प्रहार किया है।
आदिवासी संयुक्त मोर्चा के संयोजक अंतू तिर्की ने नेशन एक्सप्रेस से खास बातचीत में कहा कि कोरोनावायरस सिर्फ परब त्यौहार के लिए ही क्यों है जबकि पांच राज्यों में विधानसभा का चुनाव हो रहा है वहां पर निषेधाज्ञा क्यों लागू नहीं है हम लोग हर कीमत पर सरहुल शोभायात्रा निकालेंगे और उसको लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के अलावा कई मंत्री को ज्ञापन सौंपकर सरहुल यात्रा निकालने की मांग करेंगे अगर फिर भी हमारी बातों को झारखंड सरकार नहीं मानती है तो हम लोग बैठक कर निर्णय लेंगे और आगे की रणनीति तय करेंगे । आदिवासी संयुक्त मोर्चा के संयोजक अंतु तिर्की ने कहा सरहुल में कामना करेंगे कि जल्द कोरोना खत्म हो।
ये संगठन हुए बैठक में शामिल
झारखंड आदिवासी संयुक्त मोर्चा, केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, जय आदिवासी केंद्रीय परिषद, आदिवासी उड़ान केंद्र, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, नामकुम सरना समिति, हटिया सरना समिति, ओरमांझी सरना समिति, महुरम सरना समिति समिति बोडेया सरना समिति, मिसिर गोंदा सरना समिति, हातमा सरना समिति, टुंकी टोली सरना समिति, तेतर टोली सरना समिति, बनिया टोली सरना समिति नया टोली सरना समिति मांडर सरना समिति और अन्य सरना समिति।
Report By :- SHADAB KHAN, NEWS DESK, NATION EXPRESS, RANCHI