POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI
आज प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए… इतना कि रो पड़े, फफक-फफक कर। बाएं हाथ के अंगूठे से चश्मे के कोर तक आंसू पोंछते रहे। कई दफा पानी पिया। बोल तक नहीं पा रहे थे, रूंधते और थरथराते लफ्जों में कहानी सुनाई। फिर इशारों में सैल्यूट किया।
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जगह थी राज्यसभा और मौका था कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद के कार्यकाल पूरा होने का। मोदी ने गुलाम नबी से अपनी दोस्ती का जिक्र किया और कश्मीर में हुई एक आतंकी घटना की कहानी सुनाई।
मोदी-शाह से कहा- कश्मीर को आप फिर आशियाना बनाएं
आजाद ने कहा, ‘कश्मीरी पंडित भाई-बहनों के लिए एक शेर कहना चाहता हूं। मैं जब यूनिवर्सिटी में जीतकर आता था, तब कश्मीरी पंडित मुझे सबसे ज्यादा वोट देते थे। कश्मीर में लड़कियां हिंदुस्तान के मुकाबले सबसे ज्यादा हायर एजुकेशन में पढ़ती थीं। मुझे अफसोस होता है, जब मैं अपने क्लासमेट्स से मिलता हूं। क्योंकि वे कश्मीरी पंडित हैं जो घर से बेघर हो गए। उनके लिए शेर- गुजर गया वो छोटा सा जो फसाना था, फूल थे, चमन था, आशियाना था। न पूछ उजड़े नशेमन की दास्तां, न पूछ कि चार तिनके मगर आशियाना तो था।’ आप दोनों (मोदी और शाह) यहां बैठे हैं, आप फिर उसे आशियाना बनाएं। हम सभी को प्रयास करना है। दिल नाउम्मीद तो नहीं, नाकाम ही तो है, लंबी है गम की शाम, मगर शाम ही तो है। बदलेगा न मेरे बाद भी मौजूं-ए-गुफ्तगू, मैं जा चुका होऊंगा, फिर भी तेरी महफिल में रहूंगा।’
कल PM का एक अलग अंदाज दिखा था
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को जब राज्यसभा में बोल रहे थे, तब उनका अंदाज अलग था। उन्होंने कुछ नए शब्दों का जिक्र किया। जैसे- आंदोलनजीवी, फॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी और जी-23। यह भी बताया कि राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त आज होते तो कविता किस तरह लिखते। किसानों के मुद्दे पर विपक्ष को घेरते हुए मोदी ने चार पूर्व प्रधानमंत्रियों का जिक्र किया।
आप भी इसे ज्यों का त्यों पढ़ें…
‘‘…जब आप मुख्यमंत्री थे, मैं भी एक राज्य का मुख्यमंत्री था। हमारी बहुत गहरी निकटता रही है। शायद ही ऐसी कोई घटना हो, जब हम दोनों के बीच में कोई संपर्क सेतु न रहा हो। एक बार जम्मू-कश्मीर गए टूरिस्टों में गुजरात के भी यात्री थे। वहां जाने वाले गुजराती यात्रियों की काफी संख्या रहती है। आतंकवादियों ने उन पर हमला कर दिया। शायद 8 लोग मारे गए। सबसे पहले मेरे पास गुलाम नबी जी का फोन आया। और वो फोन सिर्फ सूचना देने के लिए नहीं था (मोदी के आंसू छलक आए)। फोन पर उनके आंसू रुक नहीं रहे थे।
उस समय प्रणब मुखर्जी साहब डिफेंस मिनिस्टर थे। मैंने उन्हें फोन किया कि अगर फोर्स का हवाई जहाज मिल जाए तो डेड बॉडीज आ सकती हैं। देर रात हो गई थी, प्रणब मुखर्जी साहब ने कहा कि आप चिंता मत कीजिए, मैं करता हूं व्यवस्था।
लेकिन रात में फिर गुलाम नबी जी का फोन आया। वो एयरपोर्ट पर थे। (मोदी का गला रूंध गया और रुककर पानी पिया) उन्होंने फोन किया और जैसे कोई अपने परिवार के सदस्य की चिंता करे, वैसी चिंता… (उंगली से गुलाम नबी की ओर इशारा किया)।
पद, सत्ता जीवन में आते रहते हैं, लेकिन उसे कैसे पचाना… (फिर नहीं बोल पाए और सैल्यूट किया। गुलाम नबी ने हाथ जोड़ लिए)। मेरे लिए वो बड़ा भावुक पल था। दूसरे दिन सुबह फोन आया कि मोदी जी शव पहुंच गए।
इसलिए एक मित्र के रूप में मैं गुलाम नबी जी का घटनाओं और अनुभवों के आधार पर आदर करता हूं। मुझे पूरा विश्वास है कि उनकी सौम्यता, उनकी नम्रता, इस देश के लिए कुछ कर गुजरने की कामना, वो कभी उन्हें चैन से बैठने नहीं देगी। मुझे विश्वास है जो भी दायित्व वो संभालेंगे, वो जरूर वैल्यू एडिशन करेंगे, कंट्रिब्यूशन करेंगे और देश उनसे लाभान्वित होगा, ऐसा मेरा पक्का विश्वास है।
मैं फिर एक बार उनकी सेवाओं के लिए आदरपूर्वक धन्यवाद करता हूं और व्यक्तिगत रूप से भी मेरा उनसे आग्रह रहेगा कि मन से मत मानो कि आप इस सदन में नहीं हो। आपके लिए मेरे द्वार हमेशा खुले रहेंगे। सारे माननीय सदस्यों के लिए खुले हैं। आपके विचार-आपके सुझाव, क्योंकि देश के लिए ये सब बहुत जरूरी होता है, ये अनुभव बहुत काम आता है और ये मुझे मिलता रहेगा। ये अपेक्षा मैं रखता ही रहूंगा। आपको मैं निवृत्त होने नहीं दूंगा। फिर एक बार बहुत शुभकामनाएं, धन्यवाद।’
सदन में जब बोलते-बोलते रुक गए प्रधानमंत्री
राज्यसभा में गुलाम नबी आजाद के योगदान का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी भावुक हो गए। प्रधानमंत्री इतने भावुक हुए की बोलते-बोलते रुक गए। उन्होंने अपने आंसू पोछे। फिर टेबल पर रखे गिलास से पानी पिया और कहा सॉरी। इसके बाद उन्होंने फिर अपना संबोधन शुरू किया।
गुलाम नबी से सीखना चाहिए किस तरह संभाला जाता है पद
राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, पद आते हैं, उच्च पद आते हैं, सत्ता आती है और इन्हें किस तरह से संभालना है, यह गुलाम नबी आजाद जी से सीखना चाहिए। मैं उन्हें सच्चा दोस्त समझूंगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनके एक जुनून के बारे में बहुत से लोग नहीं जानते हैं, वो है बागवानी। वो यहां के घर में बगीचे को संभालते हैं, जो कश्मीर की याद दिलाता है।
पार्टी, देश और सदन की चिंता करते हैं गुलाम नबी
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे चिंता इस बात की है कि गुलाम नबी जी के बाद जो भी इस पद को संभालेंगे, उनको गुलाम नबी जी से मैच करने में बहुत दिक्कत पड़ेगी। क्योंकि गुलाम नबी जी अपने दल की चिंता करते थे, लेकिन देश और सदन की भी उतनी ही चिंता करते थे। श्री गुलाम नबी आजाद ने सांसद और विपक्ष के नेता के रूप में बहुत उच्च मानक स्थापित किए हैं। उनका काम सांसदों की आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा। मैं अपने अनुभवों और स्थितियों के आधार पर गुलाम नबी आजाद जी का सम्मान करता हूं।
प्रधानमंत्री ने सांसदों का किया धन्यवाद
प्रधानमंत्री ने कहा, श्रीमान गुलाम नबी आजाद जी, श्रीमान शमशेर सिंह जी, मीर मोहम्मद फैयाज जी, नादिर अहमद जी मैं आप चारों महानुभावों को इस सदन की शोभा बढ़ाने के लिए, आपके अनुभव, आपके ज्ञान का सदन को और देश को लाभ देने के लिए और आपने क्षेत्र की समस्याओं का समाधान के लिए आपके योगदान का धन्यवाद करता हूं।
Report By :- MADHURI SINGH, EDITOR IN CHIEF, NATION EXPRESS