POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, LUCKNOW
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और फैजाबाद से सांसद अवधेश प्रसाद ने पार्टी के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले को एक नया और व्यापक अर्थ प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि पीडीए का मतलब केवल पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक वर्गों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें समाज के सभी पीड़ित, दुखित और अगड़ा वर्ग भी शामिल हैं।
एक तरफ अखिलेश यादव की पत्नी और मैनपुरी से सपा सांसद डिंपल यादव हैं, जो मस्जिद में बैठी हैं, तो दूसरी तरफ कैराना से सपा सांसद इकरा हसन हैं, जो मंदिर में दिख रही हैं. डिंपल यादव सावन के महीने में जहां संसद भवन की पास की मस्जिद में जाती हैं, तो वहीं इकरा हसन कांवड़ियों की सेवा करती नजर आती हैं, कांवड़ यात्रियों को खाना खिलाती दिखती हैं, उनके गले में भगवा दुपट्टा भी दिखता है. जिसके बाद सोशल मीडिया पर ये सवाल गूंज रहा है, मस्जिद में डिंपल यादव और मंदिर में इकरा हसन आखिर समाजवादी पार्टी की ये नई प्लानिंग क्या है.
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चौंकाने वाली बात ये भी है कि इस मीटिंग से एक दिन पहले इकरा हसन दिल्ली में अखिलेश यादव से मुलाकात तो करती हैं, लेकिन वो मस्जिद नहीं जातीं. अगर महिलाएं मस्जिद नहीं जाती वाली थ्योरी कुछ लोग दें तो ये भी सही नहीं लगती, क्योंकि वहां डिंपल यादव के साथ भी एक महिला हिजाब में बैठी नजर आ रही हैं. मस्जिद जाने वाले नेताओं में सपा सांसद छोटे लाल, धर्मेंद्र यादव, बीरेन्द्र सिंह, मोहिबुल्लाह नदवी, अखिलेश यादव, उत्कर्ष मधुर, जियाऊर्रहमान बर्क, आनंद भदौरिया और डिंपल यादव हैं.
लेकिन इसमें इकरा हसन नहीं हैं तो आखिर वो कहां हैं. क्या अखिलेश यादव पीडीए में कोई नया प्लान जोड़ रहे हैं. जिसके तहत ये तस्वीरें जारी की गईं. जानकार तो कहते हैं पीडीए के ए का मतलब तो आज भी लोग अलग-अलग निकालते हैं, कोई कहता है A फॉर अल्पसंख्यक तो कोई कहता है A का इस्तेमाल अपने-अपने हिसाब से सपा करना चाहती हैं. अखिलेश खुद ट्वीट करके कहते हैं दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सब इससे जुड़ें, तो क्या सवर्णों को साधने की भी तैयारी है, या फिर सपा से जो हिंदू वोट छिटक गया है, उसे वापस लाने की तैयारी है.
इकरा हसन की तैयारी से ऐसा लगता है जैसे:
- बीजेपी पर जो ध्रुवीकरण की राजनीति के आरोप लगते हैं, उसका काट पीडीए की नई परिभाषा गढ़कर इकरा हसन दे रही हैं.
- जो सपा के कोर वोटर इस वजह से बीजेपी को वोट देने लगे कि सपा मुस्लिमों की पार्टी बन गई है, उन्हें वापस लाने की कोशिश में इकरा जुटी हैं
- कैराना से हिंदुओं के पलायन का मुद्दा खूब छाया रहा है, ये कैराना की छवि को बदलने की कोशिश भी हो सकती है, जो इकरा कर रही हैं
- बीते दिनों रामपुर-कुंदरकी सब बीजेपी जीत गई, सपा का गढ़ खाली हो रहा है, तो कैराना में इकरा क्या अपनी सीट बचाने की लड़ाई लड़ रही है?
- मोदी सरकार ने महिला आरक्षण का ऐलान किया, योगी महिलाओं के मुद्दे पर सजग हैं, ऐसे में अखिलेश महिलाओं को आगे कर नया कार्ड खेल रहे हैं
ये वो सवाल हैं जिनका जवाब आने वाले दिनों में चुनावी नतीजों से मिल सकता है, क्योंकि समाजवादी पार्टी जहां इस बात से गदगद है कि लोकसभा चुनाव में पीडीए फॉर्मूले से उसने बीजेपी का किला रोकने की कोशिश की तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के सामने चुनौती ये है कि ज्यादातर सपा का किला फतेह करने के बाद अब वो अपनी सीटें अखिलेश के नए पीडीए फॉर्मूले से कैसे बचाती है. सियासत में तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं, और अखिलेश-डिंपल की ये तस्वीर साफ इशारा कर रही है अखिलेश ने ये सीधा ऐलान कर दिया है जैसे योगी खुलकर हिंदुओं की सियासत करते हैं, वैसे ही अखिलेश भी अब खुलकर मुस्लिमों की सियासत करेंगे. पर साथ में पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक चाहे वो किसी भी जाति वर्ग का हो, उसे भी जोड़ने की कोशिश करेंगे. क्योंकि यूपी में निकाय चुनाव के बाद 2027 में विधानसभा चुनाव भी है, जिसमें कई नए प्रयोग देखने को मिल सकते हैं.
Report By :- ANAMIKA SINGH, POLITICAL DESK, NATION EXPRESS, LUCKNOW