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सावधान! तीसरी लहर में बच्चों को ज्यादा खतरा, पैरेंट्‍स की होगी बड़ी जिम्मेदारी, दूसरी से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है तीसरी लहर 

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HEALTH DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI

बच्चो को बिलकुल भी बाहर न निकलें की सलाह

अगर बाहर जाना बहुत जरूरी हो तो बाइक के बदले 4 व्हीलर गाड़ी का इस्तेमाल करें और कार के चारो विंडो को बिलकुल बंद रखे

Ghar se बाहर निकलने वक्त बच्चों को मास्क जरूर लगाएं

आप की लापरवाही बच्चो के लिए खतरनाक साबित हो सकती है

भारत में  CORONA (Coronavirus) की 3rd Wave की दस्तक सुनाई देने लगी है। एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) का कहना है कि 6 से 8 हफ्तों के बीच कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। महाराष्ट्र में कोविड टास्क फोर्स ने भी कहा है कि 1-2 माह के भीतर तीसरी लहर की शुरुआत हो सकती है। यह भी कहा गया है कि यदि सावधानी नहीं बरती गई तो यह लहर दूसरी से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है।

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Corona Delta Plus Variant: रहिए सचेत, दूसरे वैरिएंट की तुलना में फेफड़ों के लिए ज्यादा खतरनाक है डेल्टा प्लस - Covid delta plus variant affects lung tissues more than other strains expert -चिंता की बात यह है कि दूसरी लहर में तबाही लाने वाले डेल्टा वेरिएंट के नए वेरिएंट डेल्टा प्लस के मामले भी सामने आए हैं। तीसरी लहर के बारे में एक और अहम बात जो सामन आ रही है, वह यह कि इसका सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों में देखने को मिल सकता है। इसका कारण भी है, क्योंकि 18 और उससे ऊपर आयु वाले बहुत से लोगों को वैक्सीन का कम से कम एक डोज तो लग ही चुका है। वहीं, 18 से नीचे उम्र वालों के लिए न तो फिलहाल कोई वैक्सीन है न ही वैक्सीनेशन जल्द शुरू होने की संभावना है। ऐसे में आने वाले समय में चुनौतियां बड़ी हो सकती हैं।

Lady Doctors | Girl doctor, Hot nurse, Medical photographyसुपर स्प्रेडर हो सकता है बच्चा : वेबदुनिया के साथ खास बातचीत में डॉ. प्रीति सिंह कहती हैं कि जैसी कि आशंका है यदि तीसरी लहर आती है तो ऐसी स्थिति में माता-पिता बड़ी जिम्मेदारी होगी। वे कहती हैं कि बच्चों के ज्यादातर केसेस में लक्षण या तो बहुत कम होते हैं या फिर बिलकुल भी नहीं होते हैं। वे एसिम्टोमेटिक्स होते हैं। उनको हलका बुखार, सर्दी, जुकाम जैसे लक्षण हो सकते हैं। ट्रीटमेंट इन्हीं लक्षणों का करवाना चाहिए। एक फीसदी से भी कम केस हैं, जिनमें बच्चों को खतरा होता है। बच्चों को आइसोलेशन में रखना बड़ी चुनौती है। साथ ही कोई भी संक्रमित बच्चा सुपर स्प्रेडर का काम कर सकता है। ऐसे में चेन रुक नहीं पाएगी।
मानसिक दबाव में हैं बच्चे : डॉ. सिंह कहती हैं कि चूंकि बच्चा स्कूल नहीं जा पा रहा, अपने दोस्तों से नहीं मिल पा रहा है, अपने रिश्तेदारों के यहां भी नहीं जा पा रहा है। वह परेशान है, प्रेशर में है, मानसिक दबाव में है। दरअसल, बच्चा स्कूल में सिर्फ पढ़ने नहीं जाता, वहां उसका पूरा समाज होता है। उसका वहां डेवलपमेंट भी होता है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि माता-पिता बच्चे की साइकोलॉजी को समझें, उसके साथ प्यार से पेश आएं।
बच्चों की काउंसलिंग करें : वे कहती हैं कि पैरेंट्‍स को चाहिए कि वे बच्चों को हैंड वॉश की जानकारी दें, उन्हें मॉस्क पहनने की अहमियत बताएं। यदि संक्रमण की स्थिति होती भी है तो उन्हें काउंसलिंग से डील कर सकते हैं। घर में पूरे समय सकारात्मक माहौल रखें।

डॉ. सिंह कहती हैं कि बच्चों में कोई समस्या या लक्षण दिखे तो तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। केमिस्ट से सीधे दवाई न लें। इम्यूनिटी के लिए विटामिन डी 3 और विटामिन सी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। डी 3 के डोज डॉक्टर की सलाह से ही दें। बच्चों को नींबू पानी नमकीन या मीठा, जो भी बच्चे को पसंद है दिया जा सकता है।

बच्चों के लिए कितनी खतरनाक हो सकती है कोरोना की तीसरी लहर, AIIMS के डॉक्टर से समझें- कैसे रखें ध्यान | Children below 18 years at risk in covid 3rd wave expertsपहले से बीमार बच्चों को ज्यादा खतरा : डॉ. प्रीति सिंह कहती हैं कि बच्चों में कोरोना के गंभीर लक्षण आम तौर पर देखने को नहीं मिलते, लेकिन जिन बच्चों को डायबिटीज, हार्ट प्रॉब्लम है तो उनके मामले में स्थिति गंभीर हो सकती है। पैरेंट्‍स को चाहिए कि वे बच्चों के खानपान का प्रॉपर ध्यान रखें। साथ ही उनकी फिजिकल ही नहीं मेंटल हेल्थ का भी पूरा ध्यान रखें।

इसमें कोई संदेह नहीं कि इस दौर में लोगों की जॉब भी गई है, सैलेरी में कटौती भी हुई है। परिवार पर फाइनेंशियल प्रेशर भी है। इससे पारिवारिक समस्याएं भी बढ़ी हैं। लेकिन, जिस तरह से हम अभी तक चीजों से लड़े हैं, आगे भी उसी तरह मुश्किलों का सामना करें। इस समय धैर्य से काम लें। माहौल को पॉजिटिव रखें।
Report By :- MADURI SINGH / ANUJA ASWATHI, HEALTH DESK, NATION EXPRESS, NEW DELHI

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